Aesop | Greece
लोमड़ी और कौआ
चालाक लोमड़ी ने चापलूसी से अभिमानी कौए को उसकी चीज़ गिराने पर मजबूर कर तुरंत उसे चुरा लेती है।

एक समय की बात है, एक बड़े जंगल में एक लोमड़ी और एक कौवा रहते थे। एक दिन, कौवे को एक स्वादिष्ट चीज़ का टुकड़ा मिला। वह उसे खाने के लिए उड़कर एक पेड़ की सबसे ऊंची डाल पर जा बैठा।
उसी समय, लोमड़ी वहां से गुज़र रही थी और उसने कौवे के मुंह में चीज़ देखी। लोमड़ी ने सोचा कि वह चीज़ तो मुझे चाहिए। उसे पाने के लिए उसने एक चाल सोची।
लोमड़ी पेड़ के पास आई और कौवे की तारीफ़ करने लगी। "अरे प्यारे कौवे, तुम कितने सुंदर हो! तुम्हारे पंख कितने चमकदार हैं! मैंने आज तक तुम जैसा सुंदर पक्षी नहीं देखा," लोमड़ी ने कहा।
कौवा यह सुनकर बहुत खुश हो गया और गर्व महसूस करने लगा। वह और भी प्रशंसा सुनना चाहता था। लोमड़ी ने कहा, "मुझे विश्वास है कि तुम्हारा स्वर भी बहुत प्यारा होगी। क्या तुम मेरे लिए एक गाना गाओगे?"
कौवा, अपने गर्व में, अपना स्वर दिखाने के लिए गाने के लिए तैयार हो गया। जैसे ही उसने अपना मुंह खोला, चीज़ का टुकड़ा नीचे गिर गया, और लोमड़ी ने जल्दी से उसे उठा लिया।
लोमड़ी ने चीज़ जल्दी से खा ली और वहां से चली गई। कौवा अकेला रह गया और अपनी गलती पर विचार करने लगा।
















