Aesop | Greece
लोमड़ी और सारस
चालाक लोमड़ी ने सपाट थाली में सारस को सूप परोसा, लेकिन सारस ने सुराही में खाना देकर बदला अपना बदला लेता है।

एक समय की बात है, एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहती थी। एक दिन उसने अपने पड़ोसी सारस को बेवकूफ बनाने की सोची और उसे रात के खाने के लिए अपने घर बुलाया।
खाने का समय आया, तो लोमड़ी ने हँसते हुए सारस को एक सपाट थाली में सूप परोसा। वह चुपचाप सारस को देख मुस्कुराई क्योंकि सारस अपनी लंबी और पतली चोंच से सूप नहीं पी पा रहा था। वह चाहे जितना भी प्रयास करे, उसकी चोंच से सूप बार-बार गिर जाता।
कुछ दिनों बाद, सारस ने लोमड़ी को अपने घर, रात के खाने पर बुलाया। इस बार सारस ने भोजन एक लंबे, पतले मुँह वाले बर्तन में परोसा। सारस अपनी लंबी चोंच से आसानी से बर्तन के अंदर का स्वादिष्ट भोजन खा रहा था।
लेकिन लोमड़ी के साथ एक समस्या थी। उसकी छोटी और चौड़ी नाक बर्तन के अंदर तक पहुँच ही नहीं पा रही थी। उसने बर्तन के ऊपर से सूँघने और चाटने की कोशिश की, पर उसे खाना नहीं मिल पाया।
अंत में सारस ने स्वादिष्ट भोजन खाया और लोमड़ी भूखी रह गई। तब लोमड़ी को समझ में आया कि उसकी चाल उसी पर उल्टी पड़ गई थी।
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